
रांची: सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर राज्य में रहने वाले आदिवासी समूह के लिए ट्राइबल डेवलपमेंट डिजिटल एटलस तैयार किया जा रहा है. इसमें राज्य के अति कमजोर आदिवासी समुदाय (PVTG) का बेसलाइन सर्वे प्रथम चरण में किया जाएगा. इसकी तैयारी कल्याण विभाग अंतर्गत आदिवासी कल्याण आयुक्त के मार्गदर्शन में शुरू कर दी गई है. इसके लिए आदिवासी गांवों की बुनियादी सुविधाओं की वर्तमान स्थिति और विकास के मानक लक्ष्य से क्रिटिकल गैप सर्वे के साथ प्रत्येक गांव और टोला में शिक्षा, कौशल क्षमता, रोजगार, आय, जीवनस्तर आदि के सम्बन्ध में ब्यौरा तैयार होगा.
सुविधा देने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा
इसके लिए राज्य सरकार उनके सामाजिक बुनियादी ढांचा, आजीविका और स्वास्थ्य पर ध्यान केन्द्रित कर कार्य योजना को अमली-जामा पहनाएगी. ताकि ऐसे जनजातीय समूह के लोगों को पक्के आवास, स्वच्छता, पाइप लाइन के जरिये शुद्ध पेयजल, बिजली/सौर विद्युतीकरण, पेंशन, आयुष्मान कार्ड, पीडीएस और ई-श्रम का लाभ, स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी तक पहुंच, शिक्षा, सिंचाई हेतु जल की उपलब्धता, हर मौसम में सड़क कनेक्टिविटी, मोटर बाइक एम्बुलेंस/मोबाइल स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा, मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी, वनोत्पाद आधारित आजीविका, राज्य आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूहों और संघों को संगठित करके आजीविका में सुधार समेत अन्य सुविधाओं से आच्छादित किया जा सकें.
विकास की लकीर खींचने का प्रयास
कल्याण विभाग द्वारा ट्राइबल डिजिटल एटलस तैयार किया जाएगा, जिसके तहत पहले चरण में सभी पीवीटीजी बस्तियों का मूल्यांकन और मैप कर डेटाबेस तैयार किया जाएगा. जिसके आधार पर प्रमुख सामाजिक आर्थिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और आजीविका केंद्रित पहलुओं के कार्यान्वयन के लिए एक व्यापक कार्य योजना को मिशन मोड में लागू किया जाएगा. ताकि अगस्त 2023 तक राज्य में चिन्हित कुल 67,501 पीवीटीजी परिवार और 3,705 गांवों में की गई करीब 2,92,359 जनसंख्या के विकास हेतु लकीरें खींची जा सकें.
विभिन्न आयामों से जोड़ने का होगा कार्य
इस साथ ही अति कमजोर जनजातीय समूह को एक ओर जहां सामाजिक-बुनियादी ढांचे में समाहित किया जाएगा. वहीं इनके पारंपरिक आजीविका की गतिविधियों को मजबूत करने का कार्य भी किया जाएगा. जेटीडीएस चने की खेती और एसएचजी और क्लस्टर आधारित एफपीसी और महिला समूहों के माध्यम से जेएसएलपीएस इसके लिए कार्य करेगा. सिद्धो-कान्हू वनोपज फेडरेशन के जरिए इनके उत्पादों का बाजारों तक पहुंच बनाकर आय में वृद्धि की जाएगी. समूह में पाए जाने वाले एनीमिया, विशेष रूप से सिकल सेल एनीमिया और कुपोषण की व्यापकता में कमी सुनिश्चित करने के लिए खाद्य सुरक्षा (डाकिया योजना) लाभ और स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने को प्रमुखता दिया जाएगा.
PVTG युवाओं के लिए देश का पहला निः शुल्क आवासीय कोचिंग
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर कोरबा, माल पहाड़िया, असुर, बिरहोर, बिरजिया, सबर, सौर पहाड़िया जैसे 8 अति संवेदनशील जनजातीय समुदाय (PVTG) के युवक-युवतियों के नियोजन के लिए निःशुल्क आवासीय कोचिंग की शुरूआत कुछ महीने पहले ही की गई है. इसके तहत पहले चरण में 150 युवाओं को विभिन्न परीक्षाओं के लिए तैयार किया जाएगा. इसमें युवतियां 60 से अधिक हैं. अति संवेदनशील जनजातीय समुदाय के लिए यह देश का पहला आवासीय कोचिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम झारखंड में शुरू हो गया है.
