26 जनवरी को:बसंत पंचमी से कर सकते हैं नई विद्या या कोर्स की शुरुआत।।


विद्या की देवी सरस्वती का प्रकट उत्सव 26 जनवरी को:बसंत पंचमी से कर सकते हैं नई विद्या या कोर्स की शुरुआत, शिक्षा से जुड़ी चीजें करें दान

गुरुवार, 26 जनवरी को माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी है, इसे बसंत पंचमी कहा जाता है। इस दिन देवी सरस्वती का प्रकट उत्सव मनाते हैं। जीवन में सुख-शांति और सफलता की कामना से सरस्वती जी का पूजन किया जाता है। इस दिन शिक्षा से जुड़ी चीजें दान करनी चाहिए।

ज्योतिषाचार्य डॉ. संदीप शुक्ला के मुताबिक, बसंत पंचमी विद्या से जुड़े कामों की शुरुआत करने के लिए सबसे अच्छा दिन है। विद्या जैसे संगीत सीखना, चित्रकारी सीखना, ऐसी ही कोई कला सीखना आदि। किसी खास कोर्स की शुरुआत भी इस दिन से की जा सकती है। जो अविवाहित लोग शादी करना चाहते हैं, वे बसंत पंचमी पर बिना मुहूर्त देखे शादी कर सकते हैं। ध्यान रखें इस पर्व पर सरस्वती देवी के साथ ही वीणा की भी पूजा करनी चाहिए।

देवी आद्यशक्ति के हैं पांच स्वरूप

शिव जी की इच्छा से ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। उस समय देवी आद्यशक्ति ने खुद को पांच स्वरूप में बांटा था। ये पांच स्वरूप हैं दुर्गा, सरस्वती, सावित्रि, पद्मा और राधा। इनमें देवी सरस्वती को विद्या की देवी माना जाता है, इन्हें वाक, वाणी, गिरा, भाषा, शारदा, वाचा, धीश्वरी, वाग्देवी आदि नामों से भी जाना जाता है।

किसी गरीब बच्चे की शिक्षा के लिए करें दान

बसंत पंचमी पर गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए जरूरी चीजों का दान करना चाहिए। अगर संभव हो सके तो किसी बच्चे की शिक्षा का खर्च उठाएं। विद्या का दान सर्वश्रेष्ठ माना गया है। किसी को शिक्षित करने से वह व्यक्ति और उसके पूरे परिवार का कल्याण हो जाता है, इस वजह से विद्या दान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। आप चाहें तो शिक्षा से जुड़ी चीजें जैसे कॉपी, पेन, पेंसिल, स्कूल बेग्स आदि चीजें जरूरतमंद बच्चों को भेंट कर सकते हैं।

महालक्ष्मी के साथ ही सरस्वती जी की पूजा जरूर करें

महालक्ष्मी के साथ ही देवी सरस्वती की भी पूजा की जाती है। देवी सरस्वती के बिना लक्ष्मी की कृपा नहीं मिल पाती है। विद्या का उपयोग करके सही रास्ते से जो धन कमाया जा सकता है। विद्या से ही हम धन का सही निवेश कर पाते हैं। इसीलिए इन दोनों देवियों की पूजा एक साथ करने की परंपरा है।

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