दुमका। बाल कल्याण समिति बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट के समक्ष पिछले महीने जामा थाना क्षेत्र की एक महिला ने समिति के समक्ष उपस्थित होकर अपने दो बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण का दायित्व स्वयं को देने के लिए आवेदन दिया था।
बालक की माता का कहना था कि उसके दोनों बच्चे को उसके साथ ससुर के द्वारा रख लिया गया है और वहां प्रताड़ना के कारण उसे ससुराल छोड़ना पड़ा है। उसके पति फौज में काम करते हैं। इसलिए साल में एक दो बार ही वह घर आते हैं। दादा दादी दोनों बच्चों का सही तरीके से देखभाल संरक्षण नहीं कर रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है।
यह मामला महिला थाना में भी पहुंचा था लेकिन वहां से कुछ समाधान नहीं निकला था। तत्पश्चात बालकों की माता सीडब्ल्यूसी के समक्ष फरियाद लेकर उपस्थित हुए थे। सीडब्ल्यूसी चेयरपर्सन डॉ अमरेंद्र कुमार ने बताया कि समिति ने इस पर संज्ञान लेते हुए किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के धारा 30(2) के तहत मामला दर्ज कर इंक्वायरी प्रारंभ किया था। इसमें सम्मन भेज कर दोनों बालक, उसके पिता एवं उसके दादा दादी को समिति के समक्ष को उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था।
शुक्रवार को जब बच्चों के पिता को छोड़ कर बांकी सदस्य उपस्थित हुए तो समिति ने दोनों भाई बहनों का प्रोडक्शन लिया। तत्पश्चात लंबे काउंसलिंग के बाद दोनों पक्षों के बीच उत्पन्न सारे विवाद को आपसी सुलह करा कर वहीं पर समाप्त करा दिया। दोनों पक्ष बच्चों के भविष्य के लिए एक साथ रहने को तैयार हो गए। महिला के सास ससुर ने बेंच का मजिस्ट्रेट के पास बयान दर्ज करा कर आश्वस्त किया वह अपने पुत्रवधू एवं उनके बेटे बेटियों का देखभाल और संरक्षण अच्छी तरह से करेंगे।
आपस में कोई विवाद नहीं करेंगे। इस प्रकार आप दोनों भाई बहनों को माता-पिता के साथ दादा दादी का भी प्यार एक साथ मिलेगा। और उसकी माता का भी उजड़ा हुआ घर बस गया।
बाल कल्याण समिति के चेयरपर्सन डॉ अमरेंद्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राजकुमार उपाध्याय, कुमारी विजय लक्ष्मी ने मामले की सुनवाई करते हुए बच्चों के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए दोनों बच्चों को उसकी माता को सुपुर्द कर दिया। किसी प्रकार की समस्या होने पर तुरंत समिति को सूचित करने का निर्देश दिया गया है।