
चेन्नई के गारमेंट फैक्ट्री ले जाये जा रहे थे किशोर व किशोरियां
दुमका। बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) दुमका के तत्परता से दो बालिकाओं समेत तीन बच्चे ट्रैफेकिंग का शिकार होने से बच गये। 18 जनवरी की देर शाम सीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन डा अमरेन्द्र कुमार को सूचना मिली कि एसपी कालेज के पास बैग-बैगेज के साथ आधा दर्जन बच्चे हैं जिन्हें काम के लिए कहीं बाहर ले जाया जा रहा है। उन्होंने तत्काल एंटी ह्यूमैन ट्रैफकिंग यूनिट (आहतु थाना) के प्रभारी से बच्चों को रेस्क्यू करवाया।
चेयरपर्सन और सदस्य डा राज कुमार उपाध्याय नगर थाना जाकर इन बच्चों से मिले और प्रारंभिक जांच की जिसमें दो किशोरी एवं एक किशोर पाये गये। ये सभी साहेबगंज और पाकुड़ जिला के रहनेवाले हैं। यह भी पता चला कि संतोष नाम के एक व्यक्ति ने इनके चेन्नई जाने की व्यवस्था की थी। इस मामले की छानबीन के बाद आहतु थाना में सनहा दर्ज कर एसआई के द्वारा तीनों किशोर व किशोरियों को 19 जनवरी को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया।
चेयरपर्सन डा अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, सदस्य डा राज कुमार उपाध्याय, सदस्य कुमारी बिजय लक्ष्मी और महिला सदस्य नूतन बाला ने तीनों का बयान दर्ज किया जिसमें उन्होंने बताया कि चेन्नई के एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करने के लिए उन्हें ले जाया जा रहा था। दुमका से वे सभी बस से धनबाद और फिर वहां से ट्रेन से चेन्नई जानेवाले थे। इनसे वहां धागा संबंधी काम करवाया जाता।
किशोर व किशोरियों के बयान के आधार पर समिति ने चाइल्ड ट्रैफकिंग का मामला दर्ज किया है। अंडरटेकिंग लेकर पाकुड़ के किशोर को इस शर्त के साथ उसके भाई के हवाले कर दिया गया कि सात दिनों के अंदर वह किशोर को पाकुड़ के बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करेगा। दो किशोरियों के अभिभावकों के नहीं आने के कारण उन्हें आगले आदेश तक धधकिया स्थित बालगृह (बालिका) में आवासित कर दिया गया।
शुक्रवार को अभिभावक के समिति के समक्ष उपस्थित होने पर अंडरटेकिंग लेकर दोनों किशोरियों को इस शर्त के साथ उनके साथ भेज दिया गया कि सात दिनों के अंदर वे किशोरियों को साहेबगंज के बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।
