
शिवलिंग पर कैसे चढ़ाएं बेलपत्र : –
- महादेव को बेलपत्र हमेशा उल्टा अर्पित करना चाहिए, यानी पत्ते का चिकना भाग शिवलिंग के ऊपर रहना चाहिए –
शिव जी को बेलपत्र अर्पित करते समय साथ ही में जल की धारा जरूर चढ़ाएं ।
बिना जल के बेलपत्र अर्पित नहीं करना चाहिए ।
- बेलपत्र में चक्र और वज्र नहीं होना चाहिए. | कीड़ों द्वारा बनाये हुए सफ़ेद चिन्ह को चक्र कहते हैं| एवम् बिल्वपत्र के डंठल के मोटे भाग को वज्र कहते हैं ।
- बेलपत्र 3 से लेकर 11 दलों तक के होते हैं , यह जितने अधिक पत्र के हों, उतने ही उत्तम माने जाते हैं ।
- अगर बेलपत्र उपलब्ध न हो, तो बेल के वृक्ष के दर्शन ही कर लेना चाहिए , उससे भी पाप-ताप नष्ट हो जाते हैं ।
- शिवलिंग पर दूसरे के चढ़ाए बेलपत्र की उपेक्षा या अनादर नहीं करना चाहिए ।
6.बिल्वपत्र मिलने की मुश्किल हो तो उसके स्थान पर चांदी का बिल्व पत्र चढ़ाया जा सकता है जिसे नित्य शुद्ध जल से धोकर शिवलिंग पर पुनः स्थापित कर सकते हैं ।
भगवान शिव के अंशावतार हनुमान जी को भी बेल पत्र अर्पित करने से प्रसन्न किया जा सकता है और लक्ष्मी का वर पाया जा सकता है। घर की धन-दौलत में वृद्धि होने लगती है। अधूरी कामनाओं को पूरा करता है सावन का महीना शिव पुराण अनुसार सावन माह के सोमवार को शिवालय में बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है।
बेल के पेड़ की जरा सी जड़ सफेद धागे में पिरोकर रविवार को पहनें इससे रक्तचाप, क्रोध और असाध्य रोगों से निजात मिलेगा ।
