राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम एन टीपीसी के द्वारा आयोजित।।

सुंदरपहाड़ी ) सुंदरपहाड़ी प्रखण्ड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय केरोजोड़ी रामपुर में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम एन टीपीसी के द्वारा आयोजित किया गया।जिसमें सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी सोहन लाल मुंडेल, शीला रानी खालको और पूनम मिंज द्वारा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें तंबाकू एवं इससे बनें उत्पादों से होने वाले नुकसान के बारे में 100 से ज्यादा विद्यार्थियों को विस्तृत रूप से बताया गया। और शपथ भी लिया गया । साथ में क्विज प्रतियोगिता करवा के तीन विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया । 

साथ में यह बताया गया युवाओं में नशा सिर्फ सिगरेट ,बीड़ी ,गुटखा , जर्दा, खेनी, हीरोइन, शराब,गांजा, अफीम तक ही सीमित नहीं रह गया है अपितु युवाओं में मोबाइल, ऑनलाइन गेम ,ऑनलाइन सट्टेबाजी का नशा अभी दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है जिसके दुष्परिणाम हमें अक्सर समाचार पत्रों में देखने सुनने को मिलते हैं।

         युवाओं की भीड़ अक्सर सड़क के किनारे, चौराहे ,रेलवे की पटरियों ,चाय की थड़ियों पर मुंह से पीक थूकते या हवा में धुएं का गुब्बार उड़ाते हुए दिखेंगे। युवा शक्ति में पहले नशे का प्रचलन सिर्फ लड़कों तक ही सीमित था पर अब धीरे धीरे आधुनिकता की आड़ में नशा लड़कियों को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है। युवा नशे की गिरफ्त में इतना जकड़ चुका है कि उसे अपने परिवार यहां तक की स्वयं की प्रतिष्ठा और आर्थिक परिस्थिति को पैरों तले रोते हुए नशे की ओर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इस नशे के कारण सैकड़ों परिवार बर्बाद हो चुके हैं और हो रहे हैं पर फिर भी सबसे ज्यादा पढ़े लिखे युवा नशे की गिरफ्त में है। जहां युवाओं में हर्ष, उल्लास, जोश,और  देशभक्ति की  भावनाओं से ओतप्रोत होना चाहिए ,वहां वर्तमान में युवा बीमारियों की चपेट में समय से पहले ही बूढ़े बनते जा रहे हैं शायद इसी कारण भारत की जीवन प्रत्याशा दिन-ब-दिन कम होती जा रही है।

      कहने को अब युवा शक्ति है पर युवाओं में अब सोचने समझने, विवेक ,तर्क वितर्क करने की शक्ति क्षीण होती जा रही है ।

            रही इसके कारणों की बात तो शायद सबसे बड़ा कारण है बेरोजगारी और गरीबी। दिहाड़ी मजदूरों को ही सबसे ज्यादा नशा करते देखा जा सकता है । दूसरा कारण युवाओं में बढ़ता तनाव, डिप्रेशन ,आधुनिक दिखने की होड़ ,गलत संगति ,अपराधों में लिप्त हो जाना ,अभिभावकों का अपनी संतान के प्रति अत्यधिक विश्वास और लापरवाही, 

   अंतिम कारण हैं जागरूकता की कमी सरकार और प्रशासन का ढुलमुल रवैया।

      नशे के निवारण के लिए सबसे पहला उपाय यही है कि बचपन से बच्चे को नशे से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में बताया जाए ,जब बच्चा किशोरावस्था में प्रवेश करें तब अभिभावकों को चाहिए वह उन्हें समय दे ,उनसे बातचीत करें और हो सके तो उन पर थोड़ी निगरानी रखे।

और अगर गलती से कोई युवा नशे की चपेट में आ भी गया तो उसे उचित तरीके से समझा कर किसी और अभिरुचि में व्यस्त करें ,हो सके तो नजदीकी नशा मुक्ति केंद्र पर ले जाकर नशा छुड़वाने का प्रयास करें।

   परंतु सबसे बड़ा निवारण यही होगा कि अभिभावक बच्चों में नैतिक शिक्षा के गुण डालें उन्हें मानसिक भावनात्मक परेशानियों से सामना करके मजबूत बनाएं ताकि तनाव के दौरान वो किसी नशे की गिरफ्त में ना पड़े। बार-बार युवाओं को सचेत जागरूक किया जाना चाहिए

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