
रांची: झारखंड की राजधानी रांची की टियाना बुधिया सिर्फ 9 साल की उम्र में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप तक जा पहुंची. वह शिखर की फतह करने और ऐसा करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय बनने के लिए प्रेरित है. 9 वर्षीय टियाना बुधिया माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप तक पहुंचने वाली झारखंड की सबसे कम उम्र की लड़की और भारत की सबसे कम उम्र की लड़कियों में से एक बन गई है.
बता दें कि बीते 5 अक्टूबर 2023 को टियाना 5364 मीटर (17598 फीट) की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप पर पहुंची. उसने अपने पिता अनिरुद्ध बुधिया और उनके दोस्तों मयंक आर्य के साथ 130 किमी से अधिक, 11 दिनों में यह यात्रा को पूरा किया है.
बताते चले कि 9वर्षीय टियाना और उनकी टीम ने 29 सितंबर 2023 को लुक्ला (2860 मीटर) से एवरेस्ट बेस कैंप के लिए अपनी यात्रा शुरू की थी. और फाकडिंग (2652 मीटर), नामचे बाजार (3440 मीटर), तेंगबोचे (3870 मीटर) होते हुए एवरेस्ट बेस कैंप तक ट्रैकिंग की. डिंगबोचे (4400 मीटर), लाबुचे (4900 मीटर) और गोरक शेप (5170 मीटर). तमाम चुनौतियों को पार करते हुए गोरक शेप से एवरेस्ट बेस कैंप तक का सफर पूरी की. बता दें, एवरेस्ट बेस कैंप खुंबू ग्लेशियर पर था. इस दौरान टियाना बुधिया के साथ उसके पिता अनिरुद्ध बुधिया समेत आदित्य बुधिया, डॉ. कुशाग्र महनसरिया, अभिषेक तनेजा, हितेश भगत और कनिष्क पोद्दार एवरेस्ट बेस कैंप पर गर्व से भारतीय ध्वज थामा. जिसके बाद पूरी टीम 8 अक्टूबर 2023 को वापस लुक्ला लौटकर यात्रा समाप्त किया.
हर दिन सीढ़िया चढ़कर कर रही थी ट्रेकिंग की तैयारी
टियाना बुधिया के पिता अनिरुद्ध बुधिया ने बताया कि पिछले कुछ सालों से वे और उनके दोस्त ने भारत और नेपाल के पहाड़ों की वार्षिक ट्रैकिंग यात्राओं पर जा रहे हैं और उन्होंने हिमाचल, भारत में हंपटा पास ट्रेक (4270 मीटर) और अन्नपूर्णा बेस कैंप (4130) जैसे उल्लेखनीय ट्रेक सफलतापूर्वक पूरा किए हैं. पिछले साल नेपाल में एबीसी ट्रेक पूरा करने के बाद से, टियाना 2023 में एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक में शामिल होने के लिए अपने पिता का पीछा कर रही है. टियाना अपने पिता के ट्रेक की तस्वीरें देखकर और पहाड़ों की कहानियां सुनकर ट्रेकिंग के लिए उत्साहित हो गई. वह लगभग एक साल तक इस ट्रेक को करने के लिए मानसिक रूप से तैयार थी. टियाना ने नियमित रूप से जिम जाकर ट्रेक के लिए प्रशिक्षण लिया और अपने पैरों की ताकत और कार्डियो गतिविधियों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया. पहाड़ों पर चढ़ने की आदत डालने के लिए वह हर दिन अपने अपार्टमेंट में सीढ़िया भी चढ़ती थी.
उन्होनें बताया कि यह ट्रेक एक कठिन स्तर का ट्रेक है जिसमें आप चौथे दिन ही पेड़ की रेखा से ऊपर चले जाते हैं. और औसत ऊंचाई 4000 मीटर से ऊपर रहती है. हर दिन कई पड़ाव होते हैं, जिनमें घंटों तक लंबी खड़ी चढ़ाई होती है, औसत ऑक्सीजन का स्तर 70-75 प्रतिशत तक गिर जाता है. और साथ ही कपड़े और जूते पहनने जैसा नियमित काम भी एक कठिन और कठिन काम बन जाता है. जिससे आपकी सांस फूलने लगती है. जबकि, टियाना ने ट्रेक पूरा करने का दृढ़ संकल्प किया और सांस लेने में होने वाली सभी कठिनाइयों, सिरदर्द और तीव्र पहाड़ी बीमारी को अच्छी तरह से प्रबंधित किया.
