
झारखंड में 2024 के नवंबर दिसंबर में विधानसभा चुनाव होना है उसके पूर्व मार्च अप्रैल के दरमियान पूरे देश लोकसभा चुनाव भी होना है लेकिन कई राजनीतिक दलों से नेता इधर से उधर आने जाने शुरू हो गए हैं और इतना अधिक दल बदल पूरे राज्य में कहीं नहीं दिख रहा है सिवाय महागामा विधानसभा के सबसे अधिक भारतीय जनता पार्टी में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता दल बदल कर आ रहे हैं यह उनका पिछली पार्टी में राजनीतिक असंतोष कहिए या फिर उनका मोह हो सकता है भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा हो..
और ऐसा होने का मेरा व्यक्तिगत विचार है कि सबको पता है कि महागामा में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी अल्टरनेट रूप से चुनाव जीत रही है वर्तमान में कांग्रेस की सिटिंग विधायक है और ऐसे में भावी विधायकों को लग रहा है कि इस बार नंबर भारतीय जनता पार्टी का है जबकि ऐसा कुछ नहीं है हो सकता है जो परिपाटी चल रही है की एक बार कांग्रेस एक बार भाजपा उसे हिसाब से नंबर तो भाजपा का है
लेकिन एक समय ऐसा भी आया था कि भाजपा के श्री अशोक कुमार जी ने लगातार दो बार और महागामा से परचम लहराया था और उन्हें राजनीतिक अनुभव भी है लेकिन उम्र आड़े आ रहा है हालांकि कांग्रेस को कमजोर समझना भूल होगी दीपिका पांडे जी भी मजबूत महिला नेत्री हैं उन्हें भी अपनी वोट बैंक का बखूबी ज्ञान है और किस गड्ढे में कितना पानी है और कितना मछली उन्हें भी पता है.समय होने पर शिकारमाही कर लेंगे मछलियों का………
लेकिन विभिन्न पार्टियों से भाजपा में होने वाले नेताओं को एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि भाजपा महागामा विधानसभा में एक दिन में मजबूत नहीं हुआ है या आप लाव लश्कर के साथ आ गए तो भाजपा मजबूत नहीं हुआ है भाजपा असंख्य कार्यकर्ताओं के मेहनत उन कार्यकर्ताओं का जनता के प्रति लगाओ और क्षेत्र की समस्याओं का लगातार निराकरण करने का प्रयास ही महागामा विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी की मजबूती का कारण रहा है
लेकिन आप सभी उस समय कहीं नहीं थे जब भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता जमीन से लेकर घर-घर तक संपर्क को बढ़ाते हुए भाजपा की नींव को मजबूत रख रहे थे एक-एक कार्यकर्ता की पीड़ा पीड़ा को समझ कर उसके समस्या का समाधान करने के लिए जिन-जिन लोगों ने अपने-अपने माध्यम से अपने-अपने स्तर पर प्रयास किया है वह सभी धन्यवाद के पात्र हैं..
आपके चार पहिया वाहनों की काफिला को देखकर भाजपा मजबूत नहीं हुई है मैं देख रहा हूं की काफिला लेकर नेताजी तो चलते हैं लेकिन सड़क पर साइकिल और मोटरसाइकिल पर चलते हुए जमीनी कार्यकर्ता उसको नजर ही नहीं आते हैं …..
इसमें उसकी कोई गलती नहीं है क्योंकि उसको पता भी तो नहीं है कि भाजपा के कौन-कौन कार्यकर्ता जमीनी रहे हैं जिन्होंने काफी मेहनत किया है और ऊपर से उन सबों की गाड़ी का टायर भी थोड़ा ऊंचा होता है जिससे कि नजदीक वाले लोग दिखते ही नहीं है चींटी सामान दिखते होंगे लोग …. लेकिन ऐसे नेताओं को बढ़ावा भी जनता के कारण ही तो मिला है और कार्यकर्ता के कारण ही तो मिला है जनता भी तो कहती है जो भाजपा से टिकट लेकर आएगा उसी को वोट देंगे ऐसे में आप मान, सम्मान, इज्जत ,प्रतिष्ठा भूल ही जाइए तो बेहतर है
लेकिन जन प्रतिनिधि और एमपी, एमएलए का सपना देखने वालों को हमेशा संवेदनशीलता का भाव दिखाना चाहिए संवेदनहीनता का नहीं… केंद्रीय नेतृत्व मजबूत है इसका मतलब यह नहीं कि आप मनमानी करें हालांकि समय नजदीक है जनता सब समझ रही है… संवेदनशील और दिल से जनता के प्रति लगाव रखने वाले प्रत्याशी जिस दल में होंगे वह अपना जनाधार बढ़ाने में सक्षम होंगे ..
महागामा की जनता को विकास का मुद्दा पसंद है.. यह सभी बातें जनता को समझाने वाले भी कई लोग सामने आ जाएंगे और अभी कई खिलाड़ियों का मैदान में उतरना शेष है।
जोहार
