दुमका। बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने पांच दिन पूर्व दुमका रेलवे स्टेशन से मिले मूक बालक को मंगलवार को उसकी मां को सौंप दिया। इस बालक को उसके परिवार से मिलाने में सोसल मीडिया ने अह्म भूमिका निभायी। दरअसल 22 जुलाई को चाइल्डलाइन को दुमका रेलवे स्टेशन के पास एक बालक के पाये जाने के बारे में सूचना मिली।
चाइल्डलाइन ने बालक को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया। बालक ठीक से बोल नही पा रहा था जिस कारण काफी प्रयास के बावजूद उसके परिजनों और घर के पता के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पायी। चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डा राज कुमार उपाध्याय, कुमारी बिजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने इस मामले की सुनवाई करते हुए बालक के सर्वोत्तम हित में उसका फोटा जारी करने का निर्णय लिया और बालक को बालगृह में आवासित कर दिया गया।
इस निर्णय के आलोक में चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार ने उसी दिन सोसल मीडिया में बच्चे का फोटो जारी करते हुए उसके बारे में सूचना देने की अपील की। उसी दिन बच्चे की पहचान हो गयी और उसके परिजनों को सूचित कर दिया गया। मंगलवार को 7 वर्षीय इस बालक की मां सीडब्ल्यूसी के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित हुई। अपने बयान में देवघर नगर थाना क्षेत्र में रहनेवाली इस महिला ने बताया कि उसे एक बेटी और दो बेटा है जिसमें से यह बालक सबसे छोटा है।
उसका बेटा मूक है पर बात समझता है। आधार कार्ड में उम्र अधिक दर्ज होने के कारण उसका स्कूल में नामांकन नहीं हो पाया है। वह मधुपुर की रहनेवाली है और देवघर में बच्चों के साथ ससुराल में रहती है। उसके पति मजदूरी करते हैं। उसका बेटा 21 जुलाई को शाम 3 बजे मसजिद जाने के लिए घर से निकला था पर वापस नहीं लौटा। जब काफी खोजबीन करने पर भी उसका पता नहीं चला तो उन्होंने पुलिस को इसकी सूचना दी।
दूसरे दिन पुलिस ने फोन कर बताया कि उसका बेटा मिल गया है और वह दुमका में है। पर इस बीच वह अपने बेटे को खोजने के लिए अपने मायके मधुपुर चली गयी थी और कोई पुरूष सदस्य नहीं होने के कारण वह तत्काल दुमका नहीं आ सकी।
समिति के सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डा राज कुमार उपाध्याय और नूतन बाला ने इस मामले की सुनवायी करते हुए महिला से वचबंध लेकर फार्म-10 में सात दिनों के अंदर बालक को लेकर देवघर सीडब्ल्यूसी के समक्ष उपस्थित होने का आदेश जारी करते हुए बालक को उसकी मां को सौंप दिया।