बाल हिंसा को रोकने के लिए ‘पालना’ पहल की दी जानकारी।।


गोड्डा : आज दिनांक 07/11/2023 को जिला प्रशासन, गोड्डा अंतर्गत जिला बाल संरक्षण ईकाई के द्वारा बाल-विवाह, महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के उद्देश्य से कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय, सुंदरपहाड़ी में जागरूकता अभियान चलाया गया। इस कार्यक्रम में विद्यालय के कक्षा 6 से 12 के छात्राओं, शिक्षकगण एवं कर्मियों ने भाग लिया।

★जिला समाज कल्याण एवं जिला बाल संरक्षण ईकाई गोड्डा के द्वारा चलाया जा रहा अभियान
यह अभियान 31 अक्टूबर से 14 नवंबर तक चलाया जा रहा है। सभी प्रखंडों के प्रखंड कार्यालय में प्रखंड प्रमुख एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी की उपस्थिति में जनप्रतिनिधियों, विभागीय पदाधिकारी एवं हितधारकों को किया गया सम्मिलित। साथ ही साथ बाल विवाह प्रतिषेध पदाधिकारियों यथा- प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, महिला पर्यवेक्षिका एवं पंचायत सचिवों का किया क्षमता-वर्धन।

★बाल संरक्षण मुद्दों पर किया गया जागरूक एवं “गुड टच बैड टच” की दी गई जानकारी और “चुप्पी तोड़ो” का लगाया गया नारा।
  संरक्षण पदाधिकारी विकास चंद्र ने प्रतिभागियों को बाल-विवाह, बाल-हिंसा व शोषण, बाल-दुर्व्यवहार, बाल-तस्करी, आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा करते हुए इसके रोकथाम के लिए जागरूक किया साथ ही बाल दुर्व्यवहार एवं शोषण के विषय पर बारीकी से चर्चा करते हुए ‘गुड टच बैड टच’ की जानकारी दी और “चुप्पी तोड़ो” का मंत्र दिया। जागरूकता अभियान के दौरान जिला बाल संरक्ष्ण पदाधिकारी रितेश कुमार ने  विस्तृत रूप से पोक्सो एक्ट की जानकारी दी।

★बाल हिंसा को रोकने के लिए ‘पालना’ पहल की दी जानकारी
संरक्षण पदाधिकारी विकास चंद्र ने लोगों को जागरूक करते हुए बताया कि बाल-हिंसा पर रोक लगाने के लिए गोड्डा, जिला में जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा “पालना” कार्यक्रम की पहल की गयी है; बताया कि सदर अस्पताल, गोड्डा एवं प्रखण्डों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर पालना अधिष्ठापित किया गया है. ऐसी घटनाएं यदा-कदा संज्ञान में आती है कि, किसी परिजन द्वारा परिस्थितिवश नवजात शिशुओं को पोखर, नाले या झाड़ी में फेंक दिया जाता है। ऐसी घटनाओं से निजात पाने के लिये और बच्चों को हिंसा से बचाने के लिए पालना पहल की गयी है।
“बच्चे ईश्वर की देन हैं, उन्हें फेंके नहीं, हमें दें, पालने में रख दें, प्रशासन उसकी देखभाल करेगी।’
यदि परिस्थितिवश लाचारवश कोई परिजन बच्चे का त्याग करना चाहते हैं, वे बाल कल्याण सामिति, गोड्डा को बच्चा समर्पित कर दें अथवा सदर अस्पताल या प्रखंड के सार्वजनिक स्थल पर रखे पालना में रख जाएँ, कोई उनसे उनकी पहचान नहीं लेंगे, बच्चे का समुचित देखरेख, संरक्षण की जिम्मेवारी प्रशासन लेगी और बच्चे को नियमानुसार एक सक्षम सुयोग्य परिवार को गोद दिया जायेगा।

★बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की दी जानकारी
ऐसी कोई शादी जिसमें, यदि लड़के की उम्र 21 वर्ष अथवा लड़की की उम्र 18 वर्ष से कम है तो वह बाल विवाह की श्रेणी में आता है। बाल विवाह एक संज्ञेय गैर जमानती अपराध है। इसमें एक वर्ष का कारावास एवं दो लाख का जुर्माना तक का प्रावधान है। प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से ऐसी विवाह को संपन्न कराने वाले सभी व्यक्ति दोषी कहलाएँगे।

जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी रितेश कुमार ने कार्यक्रम में प्रतिभागियों को बाल-विवाह के विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए बाल विवाह की परिभाषा, दुष्परिणाम आदि की जानकारी दी;
बताया कि अभियान आरंभ करने के उपरान्त सभी के सहयोग से अबतक सैंकड़ों बाल-विवाह रोके गए हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-04 के अनुसार गोड्डा, जिला सर्वाधिक बाल-विवाह दर वाला जिला था, अभियान के बाद, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 में इस दर में 15% का गिरावट दर्ज किया गया है, और अब गोड्डा जिला सर्वाधिक बाल विवाह दर वाला जिला नहीं है।

विद्यालय के वार्डन ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि बाल-विवाह बच्चों के लिए एक अभिशाप है। लोग बच्चों की पढ़ाई छुड़वाकर शादी करवा देते है, जिससे बच्चों का भविष्य खराब हो जाता है। किसी भी बच्चे का बाल विवाह हो रहा हो तो उसकी सूचना अवश्य दें।

कार्यक्रम में उपरोक्त के अलावा जेएसएलपीएस के कर्मवीर, विनीता, विद्यालय की वार्डन सीमा कुमारी, शिक्षिकाएँ एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

इस कुप्रथा के अंत के लिए सभी ने शपथ लिया, इसके उपरान्त कार्यक्रम की समाप्ति की गयी।

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