झारखंड का वार्षिक पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भाकपा माले के पोलित ब्यूरो सदस्य जनार्दन प्रसाद ने कहा कि राज्य के बजट में 15%की वृद्धि के बावजूद यह संतोषजनक नहीं है।
झारखंड गांव समाज की बहुलता वाली राज्य है जिसकी अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। सबसे ज्यादा पलायन की समस्या भी इन्हीं ग्रामीण क्षेत्रों से होता है। बावजूद बजट में सरकार मात्र 11.8% वृद्धि की है।
दरअसल कृषि विकास की सामग्रिक योजना के तहत खेतों में सिंचाई का प्रबंध, तीन फसलो की खेती व्यवस्था पर जोर देने के लिए समूचित की व्यव्स्था, पठारी क्षेत्रों में भी सिंचाई के अभाव में वैकल्पिक खेती की व्यवस्था की प्राथमिकता दी जानी चाहिए जिस पर सरकार की प्राथमिकता नहीं है।
साथ ही फसलों की उपज का लाभकारी दाम और वनोपज की उचित दाम के लिए मंडी व्यवस्था लागू करने की जरूरत की नीति को अपनाया ही नहीं जा रहा। पलायन को रोकने के लिए रोजगार सृजन की व्यापक योजना बनाई जानी चाहिए जिसपर सिर्फ खानापूर्ति की गई है।
राज्य सरकार को अपने वादों के अनुकूल रोजगार मुहैया कराने और तमाम रिक्तियां भरने का प्रस्ताव लेना चाहिए जिसपर अपेक्षित जोर का अभाव दिख रहा है।
शिक्षा और स्वास्थ्य में कुछ बढ़ोतरी तो है पर वह प्रयाप्त नहीं है।नए स्कूलों के निर्माण की बात तो दूर है बल्कि रघुवर दास के समय जो 10 हजार स्कूलों को बंद किया था उसे भी बहाल नहीं किया गया है।
शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए विश्वविद्यालय से लेकर लोवर स्कूल में शिक्षकों की संपूर्ण बहाली अनिवार्य है जिसे नजर अंदाज किया गया है। हर गांव में स्वास्थ्य केंद्र और दवा और डाक्टर की व्यवस्था की गारंटी किए बिना जनता को महंगी मेडिकल सेवा से मुक्ति नहीं मिल सकता जिसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
बेरोज़गारी भत्ता भी नारा बनाकर रखा गया है जिसे जमीन पर उतारने का कोई बंदोबस्त नहीं है नाम गरीब और गांव का किया गया है पर उस अनुकूल प्रावधान नहीं है।
सरकार व्यवहार में गरीबों की आय बढ़ाने,उनकी सामाजिक सुरक्षा की गारंटी और गांव की प्राथमिकता दें तभी झारखंड की सही दिशा बनेगी।
झारखंड बजट संतोषजनक नहीं है,भाकपा माले।।
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