
गोड्डा जिला मुख्यालय के गोढ़ी स्थित विवाह भवन में विकास आयुक्त हस्तशिल्प, वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित सात दिवसीय शिल्प और बुनाई महोत्सव के छठे दिन भगैया कि सिल्क साड़ी, दुमका की जादोपटीया पेंटिंग एवम डोकरा आर्ट मेटलवेयर प्रदर्शनी में काफी सुर्खिया बटोर रही है।
दुमका से आई कलाकार बेबी देवी आदिवासी परंपरा और संस्कृति पर आधारित लोकप्रिय जादोपटिया पेंटिंग अंकित वाले बहुत ही आकर्षक टेबल क्लॉथ, सिल्क और कॉटन की साड़ियां, दुपट्टे,बेडशीट, रुमाल, बंडी,छतरी गांव एवं जंगलों के मनोरम दृश्य वाले वस्त्र बाजार में आने वाले आगंतुकों के लिए काफी आकर्षण एवं जिज्ञासा की विषय का बनी हुई है।2008 से जादो पटिया पेंटिंग अंकित वस्त्रों की प्रदर्शनी एवं बिक्री कर रही बेबी देवी ने बताया कि जादो पटिया पेंटिंग आदिवासी परंपरा और संस्कृति पर आधारित है
जिसमें आदिवासी मूल की रीतियों परंपराओं और देवता मरांग बुरु को इस आकर्षक दर्शनीय पौराणिक कलात्मक चित्रण के माध्यम से दर्शाया गया है। स्टॉल में आकर्षक फ्रेम किया हुआ देवता मरांग बुरु की तस्वीर लोगों को काफी आकर्षक लग रही है।
इसके साथ ही आदिवासियों के जादो पटिया पेंटिंग की महत्ता और इतिहास के बारे में बेबी देवी शिल्प और बुनाई महोत्सव में अपने स्टाल में आए लोगों को बता रही है। बेबी देवी ने बताया कि आदिवासी मूल के लोगों के साथ-साथ अन्य लोग भी जादो पटिया की पेंटिंग अंकित उत्पाद को बहुत पसंद कर खरीद रहे हैं।
वही, दुमका ज़िला से ही आए हरेज जादोपटीया लोगों को डोकरा कि इतिहास बता रहे है। उन्होंने बताया कि सिंधु घाटी सभ्यता में बनी नटराज की मूर्ति भी इसी तकनीक से बनाई गई थी।
गौरतलब है कि इस महोत्सव में गोड्डा, दुमका , देवघर, धनबाद, हजारीबाग और साहेबगंज से कुल 25 हस्तशिप्ली एवम बुनकर अपने हस्तनिर्मित उत्पाद प्रदर्शित कर रहे है। यह कार्यक्रम आज रात्रि 08:30 बजे तक आयोजित होगा। इच्छुक कलाप्रेमी सपरिवार पहुंच कर झारखंड की सभ्यता एवं संस्कृति से रूबरू हो सकते है।
