प्रधान की अध्यक्षता में हुई ग्राम सभा की बैठक, मुखिया भी हुए शामिल
समिति ने किशोरी को उसकी बड़ी मां और चचेरे भाई के संग भेजा घर
दुमका। आमतौर पर बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) बालकों के मामले की सुनवायी हिजला स्थित अपने कार्यालय कक्ष में करती है पर जामा थाना क्षेत्र के 16 वर्षीय किशोरी का मामला इतना उलझ गया था कि समिति ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए मंगलवार को सीडब्ल्यूसी की बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट जामा के लगवन गांव में कोर्ट लगाया और इस मामले की सुनवायी करते हुए किशोरी को उसके परिवार में रिस्टोर कर दिया। मंगलवार को सीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन डा अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डा राज कुमार उपाध्याय, कुमारी बिजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने लगवन गांव में किशोरी के मामले की सुनवायी की।
किशोरी को बालगृह की हाउस मदर उर्मिला दास ने समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। किशोरी की बड़ी मां और चचेरा भाई भी समिति के समक्ष हाजिर हुए। शुरू में दोनों ने किशोरी को अपने घर में रखने और उसकी जिम्मेदारी लेने से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना था कि जब 10 दिन बाद उसके पिता आएंगे तो उसे ही किशोरी को जिम्मा दिया जाये। समिति ने ऋषिकेश में रह रहे किशोरी के पिता से भी फोन पर बात की।
इस गतिरोध को दूर करने के लिए वहां ग्राम प्रधान अशोक साह की अध्यक्षता में ग्राम सभा की बैठक करवायी गयी क्योंकि परिवार के साथ समाज की भी कुछ जिम्मेवारियां हैं। ग्रामीणों ने कहा कि किशोरी के प्रति परिवार अपनी जिम्मेवारी से पीछे नहीं हट सकता क्योंकि वे सालों से संपत्ति का संयुक्त रूप से उपभोग कर रहे हैं। ग्रामीणों, ग्राम प्रधान और सरसाबाद के मुखिया राजु पूजहर के समझाने-बुझाने और तर्क देने पर किशोरी की बड़ी मां और चचेरे भाई उसे अपने साथ घर में रखने के लिए राजी हुए।
समिति द्वारा बालिका और उसकी बड़ी मां का बयान दर्ज किया गया। अपने बयान में किशोरी ने कहा कि वह अपनी बड़ी मां, चचेरे भाई और भाभी के साथ अपने घर में रहना चाहती है। 10 फरवरी को जब उसके पिता वापस आएंगे तो वह उनके साथ रहेगी।
बड़ी मां ने अपने बयान में कहा कि वह किशोरी को उसके पिता के आने तक अपनी बेटी की तरह अपने साथ घर में रखेगी। समिति ने अंडरटेकिंग लेकर किशोरी को उसकी बड़ी मां के हवाले कर दिया। किशोरी ने जब बड़ी मां को डोभो-जोहर किया तो दोनों के आंखों में आंसू आ गये।
किशोरी अपनी बड़ी मां और चचेरे भाई के साथ घर चली गयी। इस पूरी कवायद में लगवन गांव के ग्राम प्रधान अशोक साह, सरसाबाद के मुखिया राजु पूजहर, चाइल्डलाइन दुमका के केन्द्र समन्वयक मुकेश दुबे, टीम मेंबर शांतिलता हेम्ब्रम, निकू कुमार, बालगृह के धर्मेन्द्र कुमार पाण्डये और जामा थाना प्रभारी जितेन्द्र कुमार सिंह का सहयोग समिति को मिला।
लगातार अपने घर जाने की जिद कर रही थी किशोरी
दुमका। दरअसल 17 मार्च 2022 से सीडब्ल्यूसी के द्वारा बालगृह (बालिका) में आवासित 16 वर्षीय किशोरी लगातार घर जाने की जिद कर रही थी। किशोरी की मां की मृत्यु हो चुकी है और उसके पिता समिति के समक्ष उपस्थित नहीं हो रहे थे।
समिति ने उसके पिता और चचेरे चाचा को दो बार सम्मन जारी किया। उसके चचेरे चाचा समिति के समक्ष हाजिर हुए पर किशोरी को घर ले जाने से इनकार कर दिया। उसके पिता दुमका आये पर उन्होंने सम्मन नहीं लिया। जामा थाना प्रभारी ने बताया कि उसके पिता ऋषिकेश चले गये हैं।
किशोरी को इन सभी प्रक्रियाओं की लगातार जानकारी दी जा रही थी और उसका काउनसेलिंग भी करवाया जा रहा था पर वह बालिका गृह में नहीं रहने और घर जाने की जिद पर अड़ी थी। चेयरपर्सन डा अमरेन्द्र कुमार ने 29 जनवरी को लगवन जाकर ग्राम प्रधान से मुलाकात की और इस मामले को लेकर 31 जनवरी को ग्राम सभा की बैठक बुलाने का आग्रह किया। उन्होंने किशोरी की बड़ी मां से भी जाकर बातचीत की।
अंततः मंगलवार को सीडब्ल्यूसी की पूरी टीम लगवन गांव पहुंची। ग्राम सभा की बैठक के साथ ही सीडब्ल्यूसी के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट ने किशोरी के मामले की दो घंटे लंबी चली सुनवाई के बाद उसे उसके घर भेज दिया।