अश्विन महीने की पूर्णिमा 28 को: इस पर्व पर ग्रहण रात में लेकिन सुबह स्नान-दान करना होगा पुण्य फलदायी, पूरे दिन रखा जाएगा व्रत
28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा पर्व रहेगा। चंद्र ग्रहण होने से इस दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर तो नहीं रखी जाएगी, लेकिन सुबह तीर्थ स्नान और दान करना पुण्य फलदायी रहेगा। स्नान और दान दोपहर 3 बजे के पहले ही करना शुभ रहेगा, क्योंकि इसके बाद ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाएगा।
तीर्थ स्नान नहीं कर पाएं तो अश्विन पूर्णिमा पर स्नान के लिए घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डाल लेनी चाहिए। साथ ही पानी में आंवला या रस और अन्य औषधियां डालकर नहा लेने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
इस पर्व पर श्रीकृष्ण, लक्ष्मीजी और चंद्रमा की पूजा का विधान है। ग्रंथों में बताया गया है कि इस दिन कांसे के बर्तन में घी भरकर दान करने से हर तरह के रोग और दोष खत्म हो जाते हैं। आश्विन मास की पूर्णिमा को धर्म ग्रंथों में महापर्व कहा गया है, इसलिए इस दिन किए गए शुभ कामों का पुण्य और बढ़ जाता है।
इस साल शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण होने के बावजूद व्रत किया जा सकता है। व्रत की शुरुआत सूर्योदय से होगी और अगले दिन सूर्योदय तक व्रत रहेगा। इसी दरमियान ग्रहण काल भी रहेगा। जानकारों का कहना है कि इस योग में व्रत करने से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता।
अश्विन पूर्णिमा व्रत और पूजा की विधि
पूर्णिमा पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं और व्रत, पूजा और श्रद्धा अनुसार दान का संकल्प लें।
श्रीकृष्ण या भगवान विष्णु की पूजा करें। आचमन, वस्त्र, गंध, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, पान, सुपारी और दक्षिणा के साथ पूजा की जा सकती है।
पूर्णिमा का व्रत करके सत्यनारायण भगवान की कथा सुनें। संकल्प के मुताबिक दान करें।
कांसे के बर्तन में घी भरकर दान करें। मंदिर में अन्न, कपड़े या खाना भी दान कर सकते हैं।