इस दिन तीर्थ स्नान-दान और पूजा से मिलता महायज्ञ करने जितना पुण्य।।


गुरुवार को द्वादशी का शुभ संयोग: 26 अक्टूबर को भगवान विष्णु की तिथि, इस दिन तीर्थ स्नान-दान और पूजा से मिलता महायज्ञ करने जितना पुण्य

अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु के शालग्राम रूप का पूजन होता है। इस दिन व्रत रखने से शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं। साथ ही जाने-अनजाने में हुए पाप भी खत्म होते हैं।

इस दिन उपवास करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। उपवास का मतलब है उप यानी समीप और वास का अर्थ है पास में रहना। इस तरह भोजन और सभी सुखों को छोड़कर भगवान को अपने करीब महसूस करना ही उपवास है।

स्नान-दान से मिलता है महायज्ञ जितना पुण्य
अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर गंगा और यमुना सहित किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा है। इस तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर पानी में तिल मिलाकर नहाने के बाद भगवान विष्णु की पूजा, फिर अन्न और कपड़े के साथ ही तिल का दान करने से महायज्ञ करने जितना पुण्य मिलता है।

उपवास से मिलता है महापुण्य
अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर उपवास रखते हुए भगवान विष्णु की पूजा और अभिषेक करने का विधान है। पूजा में तुलसी पत्र और शंख में जल-दूध भरकर अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से महायज्ञ करने जितना पुण्य मिलता है।

ऐसे करें पूजन
अश्विन महीने की द्वादशी पर सूर्योदय से पहले तिल के पानी से नहाने और फिर भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा ग्रंथों में बताई है। इस तिथि पर नहाने के बाद सफेद या पीले कपड़े पहनकर सोलह प्रकार की चीजों से भगवान विष्णु की पूजा करें।

इस दिन पंचामृत के साथ ही शंख में दूध और जल मिलाकर भगवान का अभिषेक करने का विशेष विधान बताया गया है। इसके बाद तुलसी पत्र चढ़ाकर केला या किसी भी मौसमी फलों का नैवेद्य लगाएं।

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