अंततः किशोरी को उसके पिता के साथ घर भेजने में सफल रही सीडब्ल्यूसी।।


कानून का भय दिखाकर और सामुदायिक काउनसेलिंग से पिता को समझाया
दुमका। महिनों के मशक्कत के बाद अंततः बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने जामा की 16 वर्षीय किशोरी को सोमवार को उसके पिता को सौंप दिया। समिति ने बालिका के जिद के कारण 31 जनवरी को जामा के लगवन गांव में कैम्प कोर्ट लगाते हुए उसके मामले की सुनवायी करते हुए किशोरी को उसकी बड़ी मां को जिम्मा देकर उसे घर भेज दिया था।

पर 04 फरवरी को किशोरी अपने घर से दुमका आ गयी थी जिसे चाइल्डलाइन दुमका की टीम मेंबर शांतिलता हेम्अ्रम ने समिति के समक्ष प्रस्तुत किया था। किशोरी ने अपने बयान में बताया था कि उसके पिता आ गये हैं पर वह उससे बात नहीं कर रहे हैं इसलिए वह अकेली ही रहना चाहती है।

समिति ने दोबारा उसे बालिका गृह भेज दिया था और उसके पिता एवं बड़ी मां को सम्मन जारी किया था। सोमवार को किशोरी के पिता और बड़ी मां समिति के समक्ष हाजिर हुए जबकि किशोरी को बालगृह की प्रभारी द्वारा प्रस्तुत किया गया।

सीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय, कुमारी बिजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने इस मामले की सुनवायी की। उसके पिता को बताया गया कि वह अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकते हैं।

यदि बेटी के प्रति यही रवैया रहा तो किशोर न्याय अधिनियम (बालकों का देखरेख एवं संरक्षण) 2015 की धारा 75 के तहत उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है जिसमें तीन साल तक की सजा और एक लाख रुपये जुर्माना का प्रावधान है।

ग्राम प्रधान अशोक साह और सरसाबाद के मुखिया राजु पुजहर भी समिति के कार्यालय आये थे। किशोरी के पिता और बड़ी मां का सामुदायिक काउनसेलिंग भी करवाया गया। बड़ी मां ने अपने बयान में बताया कि किशोरी घर में ठीक से रह रही थी।

पिता के आने बाद जब उसे समझाया जा रहा था तो उसने उसका गलत मतलब निकाल लिया और घर से चली गयी। पुलिस द्वारा नोटिश दिये जाने पर वह समिति के समक्ष आयी है। अपने बयान में पिता ने बताया कि वह हरिद्वार के गुरूद्वारा में काम करता है। उसकी बेटी का जन्म ननिहाल में हुआ था।

वह चार साल पहले उनके घर आयी थी फिर चली गयी थी। चार साल बाद वह फिर घर गयी। दिसम्बर में उन्हें जानकारी मिली कि बेटी बालगृह में है पर वह हरिद्वार लौट गये। 04 फरवरी को घर आये तो बेटी से भेंट हुई जो बड़ी मां के घर में ठीक से रह रही थी पर उसी दिन दोपहर में चली गयी।

वह अपनी बेटी को अपने साथ घर ले जायेंगे और अब हरिद्वार नहीं जाएंगे बल्कि दुमका में ही मजदूरी करेंगे। वह आगे की पढ़ाई के लिए बेटी का स्कूल में नामांकन करवाएंगे। समिति ने किशोरी को उसके पिता के साथ घर भेज दिया है।

">

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here